रीति सिद्धांत 

                                                                                                                                                             


रीति सिद्धांत एक प्रमुख काव्यशास्त्रिक सिद्धांत है जो संस्कृत साहित्य के काव्य के विकास और मानकीकरण के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। इस सिद्धांत का प्रमुख प्रतिपादन माने जाते हैं भारतीय काव्यशास्त्र के प्रमुख ग्रंथ "रसगंगधर" द्वारा, जिसके लेखक आचार्य भामह थे।

रीति सिद्धांत के मुख्य बिन्दुओं में निम्नलिखित शामिल होते हैं:

काव्य के लक्षण : रीति सिद्धांत के अनुसार, काव्य का आदर्श और प्रमुख लक्षण है कि यह सुन्दर होना चाहिए। काव्य को सुन्दरता की दिशा में मापना गया है।

रस का महत्व : इस सिद्धांत के अनुसार, काव्य का मुख्य उद्देश्य रस को उत्पन्न करना है। रस काव्यरचना का महत्वपूर्ण घटक होता है और पाठकों के भावनाओं को प्रभावित करने में सहायक होता है।

श्रृंगार का महत्व : रीति सिद्धांत में श्रृंगार का विशेष महत्व है। श्रृंगार (लव) एक प्रमुख रस है और काव्य में इसके महत्व को प्रमोट किया जाता है।

रसध्वनि : यह सिद्धांत रस के व्यक्ति और पाठक के बीच संवाद को बढ़ावा देता है। रस का प्रभाव पाठक पर होना चाहिए, और उसे पाठक के भावनाओं को सुस्तन्त्रित करने का आदर्श देता है।

साहित्यिक समृद्धि : रीति सिद्धांत के अनुसार, साहित्य काव्यरचना के माध्यम से समृद्धि करता है, और समाज के साथ मिलकर साहित्य की सामाजिक और सांस्कृतिक भूमिका को महत्वपूर्ण बनाता है।


विशेषताएँ 

सादृश्य : इस सिद्धांत के अनुसार, काव्य की भाषा को सादृश्य और समानता की ओर ले जाना चाहिए। इसका मतलब है कि कविता की भाषा को सामान्य लोगों के द्वारा समझा जा सकना चाहिए, और इसमें अत्यंत विशेष शब्दों या व्यक्तिगत भाषा का उपयोग नहीं होना चाहिए।

आदर्शता : रीति सिद्धांत के अनुसार, काव्य का मुख्य उद्देश्य आदर्श प्रस्तुत करना होता है। इसमें समाज के आदर्श, संस्कृति, और मूल्यों का प्रशंसात्मक प्रतिपादन किया जाता है।

शुद्धता : रीति सिद्धांत के अनुसार, काव्य की भाषा को शुद्ध और सुंदर रूप में प्रस्तुत करना चाहिए। इसमें भाषा के अशुद्धियों से बचाव की जाती है और शब्दों का सटीक और सुविधाजनक उपयोग किया जाता है।

यथार्थता : इस सिद्धांत के अनुसार, काव्य को वास्तविकता के साथ जोड़ना चाहिए। काव्य के माध्यम से वास्तविक जीवन की प्रत्येक प्रकार की घटनाओं, भावनाओं, और अनुभवों का विवरण किया जाना चाहिए।

गुणक : रीति सिद्धांत में काव्य के गुणक (अलंकरण) के महत्व को भी माना जाता है। गुणक का उपयोग काव्य की भाषा को सुंदर और अद्वितीय बनाने के लिए किया जाता है।

रीति सिद्धांत भारतीय साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और संस्कृत काव्यशास्त्र के महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक है। इसके माध्यम से काव्य के रचनात्मक और साहित्यिक पहलुओं का महत्व जाना जाता है और काव्य के मानकीकरण की दिशा में मार्गदर्शन प्राप्त होता है।

सौरभ सिंह